AP 9th Hindi Chapter 1 Dukh ka Adhikar Question Answer, Class 9 Hindi AP Lesson 1 Dukh ke Adhikar

Parmeshwari Mam
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AP 9th Hindi Chapter 1 Dukh ka Adhikar Question Answer, Class 9 Hindi AP Lesson 1 Dukh ke Adhikar 

    

    

Introduction

In the 9th-grade Hindi curriculum in Andhra Pradesh, students come across a fascinating chapter titled “Dukh ke Adhikar.” This chapter explores the theme of the right to sorrow and delves into the various aspects of human emotions and experiences. In this article, we will provide a comprehensive question-answer guide to help students understand and analyze the content of Chapter 1 effectively.


Analysis of Questions and Answers


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो पंक्तियों में दीजिए।


1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?


ज. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसकी स्थिति (दर्जा) अधिकारों का पता चलता है। उसकी अमीरी-गरीबी श्रेणी का पता चलता है।



2. खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था ?


ज. खरबूज़े बेचनेवाली अपने पुत्र की मृत्यु का एक दिन भी बीते बिना ही चले आयी थी। सूतक वाले घर के खरबूजे खाने से लोगों को अपना धर्म भ्रष्ट होने का भय सता रहा था। इसलिए उससे कोई भी खरबूज़े नही खरीद रहा था।



3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?


ज. रोने की स्थिति में उस स्त्री को देखकर लेखक के मन में उसके प्रति दया आयी। उसके दुःख को जानने के लिए बेचैन हो उठा।



4. उस स्त्री के लडके की मृत्यु का कारण क्या था ?


ज. उस स्त्री के लडके की मृत्यु साँप के काटने से हुई थी। वह लडका मुँह – अंधेरे खेत में खरबूजे तोड़ रहा था। उस समय उसका पैर साँप पर पडा था। तब उसे साँप ने हँसा था।



5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता ?


ज. घर में पैसे कमानेवाला एक मात्र बेटा मर चुका था। उधार देने पर पैसे वापस न मिलने की आशंका के कारण कोई भी उसे उधार नहीं देता था।


Importance of Dukh ke Adhikar 


क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25 30 शब्दों में) लिखिए।


1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?


ज. पोशाक से ही मनुष्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पता चलता है। पोशाक से ही समाज में आदर सम्मान मिलता है। वही मनुष्य को मनुष्य में भेद करती है।


2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?


ज. पोशाक हमें अपने से कम महत्व रखनेवाले मनुष्य से बात करने में बंधन बन जाते हैं। पोशाक के कारण हम स्वयं को अधिक महत्व देते हैं। सामनेवाले को छोटा मानकर उसके साथ बात करने में संकोच करते हैं।


3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया ?


ज. रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक का मन तो द्रवित हुआ। लेकिन अपनी अच्छी पोशाक के कारण लेखक फुटपाथ पर नहीं बैठ सका। और उस स्त्री की व्यथा नहीं जान सका ।



4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था ?


ज. भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन पर तरकारियाँ और खरबूज़े उगाया करता था। उन्हें फुटपाथ पर स्वंय बैठकर बेचा करता था। इस प्रकार वह लडका कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था।


5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?


ज ओझा (तांत्रिक) से लडके की झाड़ना फूँकना करवाने और नाग देवता की पूजा करवाई गयी। दान – – दक्षिणा भी दिए गए। पूजा और मृत्यु के अंतिम संस्कार से घर में आटा और अनाज ख़तम हो गया था। इसलिए अपनी विवशता के कारण बुढ़िया खरबूज़े बेचने चल पड़ी।



6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?


ज. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रात महिला की याद इसलिए आई कि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु पिछले साल ही हुई थी। पुत्र के शोक में वह महिला ढ़ाई महीने बिस्तर से उठ नहीं पाई थी।




(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए- 


1. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए। 

ज. बाजार में लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। ताने दे रहे थे। बेटे के मरने के दिन ही खरबूज़े बेचने आने के कारण बेहया कहते थे। दूसरा सज्जन कह रहा था कि जैसी नीयत होती है अल्लाह वैसी ही बरकत देता है। सामने के फुटपाथ पर खडे एक आदमी ने दिया सलाई की तीली से कान खुजाते हुए कहा – अरे इन लोगों का क्या हैं? ये कमीने लोग रोटी के टुकडे पर जान देते हैं। इनके लिए बेटी बेटा खसम – लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।


Summary of Dukh ke Adhikar 


2. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

ज. पास पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का एक पुत्र था। वह जवान था। – उसका नाम था भगवाना। वह 23 साल का था। उसकी पत्नी और बच्चे थे। वह ही घर का खर्च चलाता था। वह सब्ज़ियाँ उगाकर बेचा करता था। एक दिन खरबूज़े बेचने के लिए खरबूज़े तोड रहा था। उसका पैर एक साँप पर पड गया। साँप ने उसे डॅस लिया। उसकी मौत हो गई। उसके मरने के बाद घर का गुज़ारा करनेवाला कोई नहीं था। मज़बूरी में बुढिया को अगले ही दिन खरबूजें बेचने के लिए फुटपाथ पर बैठना पड़ा।



3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?

ज. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने अपने सामर्थ्य के अनुसार सब उपाय किए। झाड़ फूँक करवाने के लिए ओझा को बुला लाई। साँप का विष निकल जाने के लिए नाग देवता की पूजा भी की। घर में जितना आटा अनाज था वह दान दक्षिणा में ओझा को दे दिया। फिर भी बुढ़िया का पुत्र बच न सका।



4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया?

ज. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा लगाने के लिए अपने पडोस में रहनेवाली एक संभ्रात महिला को याद किया । उस महिला का पुत्र पिछले वर्ष चल बसा था। वह महिला ढाई मास तक पलंग पर पडी रही थी। उसे पुत्र की याद में मूर्चा आती थी। हर पंद्रह मिनट बाद वह मूर्छित हो जाती थी। दो – दो डॉक्टर हमेशा उसके सिरहाने बैठा रहा करते थे। माथे पर हमेशा बर्फ की पट्टी रखी रहती थी। पुत्र शोक मनाने के सिवाय उसे कोई होश – हवास नहीं था।

उस महिला की तुलना करते हुए लेखक को अंदाज़ा हुआ कि गरीब बुढ़िया का दुःख भी कितना बड़ा होगा।


5. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

ज. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है। दुःख का अधिकार कहानी ऐसा लगता है कि संभ्रांत व्यक्तियों का अधिकार ज्यादा भारी होता है। उन्हें दुःख व्यक्त करने का अधिकार है। उनको दुःखी देखकर आसपास के लोग सहानुभूति प्रकट करते हैं। गरीब का दुःख, दुःख नहीं होता। लोग उन्हें दुःखी देखकर ताने देते, और घृणा प्रकट करते हैं। तरह तरह की बातें सुनाते हैं। उनके विचार में गरीब को दुःख मनाने का अधिकार ही नहीं हैं।


Understanding Dukh ke Adhikar


(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-


1. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

ज. लेखक का आशय है- हमारी पोशाक और हैसियत हमें नीचे गिरने और झुकने से रोकती है। जिस प्रकार हवा की लहरें पतंग को एकदम सीधे नीचे गिरने नहीं देती, उसी प्रकार हमारी पोशाक हमें अपने से नीची हैसियतवालों से एक दम मिलने जुलने नहीं देती।


2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

ज. इसका आशय है। भूखा आदमी हर पाप करने को तैयार रहता है। जब लाचार व्यक्ति को खाने के लिए कुछ भी नहीं होता। तब वह रोटी के लिए सब कुछ करेगा। उसे पाप पुण्य का अच्छे बुरे का सुध बुध नहीं होता।



3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।

ज. लेखक संभ्रांत महिला और गरीब बुढ़िया दोनों के दुःख मनाने के ढंग को देखकर सोचता है। दुःख प्रकट करने – के लिए मनुष्य को सुविधा होनी चाहिए। उसके पास साधन और समय होना चाहिए। गरीब लोग मजबूरी के कारण ठीक से शोक भी नहीं मना पाते। परिस्थितियाँ उन्हें मेहनत करने के लिए विवश करती हैं।



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